मेहनत की रौशनी से रोशन हुआ जीवन – कई बार ज़िंदगी बहुत आसान लगती है, लेकिन कुछ लोगों के लिए हर मंज़िल तक पहुँचना एक जंग होती है।
यह कहानी है महेश यादव की एक छोटे से गाँव का लड़का, जिसने तंगी और तिरस्कार के बावजूद कभी हार नहीं मानी और एक दिन सरकारी बिजली विभाग में लाइनमैन बनकर अपने परिवार और गाँव का नाम रोशन किया।
मिट्टी से सने पैर, लेकिन आँखों में आसमान
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव बंसीपुर में रहने वाला महेश एक गरीब परिवार का हिस्सा था। उसका घर कच्चा था, छत टपकती थी और बिजली अक्सर गुल रहती थी।
पिता एक किसान थे, जो दिन भर खेतों में मेहनत करते और माँ दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा।
महेश स्कूल पैदल जाता था तीन किलोमीटर दूर, नंगे पाँव। लेकिन हर सुबह वह किताबों को सीने से चिपकाए निकलता था, जैसे कोई खजाना ले जा रहा हो।
पढ़ाई में तेज, लेकिन हालात से हारता नहीं
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला महेश शुरू से ही होशियार था। गणित और विज्ञान में उसकी खास रुचि थी। जब कभी गाँव में बिजली जाती, वह ट्रांसफार्मर को देखता और सोचता
“काश मैं इस खराबी को खुद ठीक कर पाता।”
पढ़ाई के साथ-साथ वह अपने पापा के खेतों में भी हाथ बंटाता था। बारिश में भीगते हुए खेत जोतना, गर्मी में पसीने से तर होकर गोबर उठाना ये सब उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी थी।
लेकिन महेश के पास एक चीज़ थी जो हालात से बड़ी थी उसका सपना।
एक साधारण गाँव के लड़के से आईएएस अधिकारी तक का सफर
बारहवीं के बाद संघर्ष का असली दौर
जब महेश ने 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की, तो सबको उम्मीद थी कि वह अब कहीं छोटा-मोटा काम पकड़ लेगा।
लेकिन महेश ने कहा
“मैं ITI करूँगा, और बिजली विभाग में लाइनमैन बनूँगा।”
लोग हँसे, बोले
“गाँव के लड़के कहाँ बिजली विभाग में जाते हैं?”
“तेरे बाप ने कौन सी सिफारिशी चिट्ठी रखी है?”
लेकिन महेश ने किसी की बात नहीं सुनी। वह जानता था कि सिफारिश से नहीं, सिर्फ संघर्ष से ही नौकरी मिलती है।
ITI का सफर काम और पढ़ाई साथ-साथ (मेहनत की रौशनी से रोशन हुआ जीवन)
महेश ने पास के शहर की ITI में इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में दाखिला लिया। वहाँ का किराया, खाना और पढ़ाई का खर्च उठाना उसके लिए आसान नहीं था।
इसलिए वह दिन में पढ़ाई करता और रात में एक इलेक्ट्रिशियन की दुकान पर काम करता।
बल्ब बदलना, वायरिंग करना, मीटर चेक करना धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
वह सिर्फ काम नहीं करता था, सीखता भी था। हर वायर के पीछे की तकनीक समझता था।
परीक्षा की तैयारी नींद, भूख और थकान से परे
ITI के बाद बिजली विभाग की भर्ती निकली लाइनमैन की पोस्ट पर सीधी नियुक्ति।
लेकिन परीक्षा आसान नहीं थी।
जनरल साइंस, इलेक्ट्रिकल फंडामेंटल्स, मैथ्स, और टेक्निकल नॉलेज सबकुछ कड़ा था।
महेश ने दिन-रात एक कर दिए।
सुबह 5 बजे उठना, खुद से नोट्स बनाना, मॉक टेस्ट देना, और बीच-बीच में ट्यूशन पढ़ाकर पैसा जुटाना।
उसने मोबाइल तक बेच दिया, ताकि कोचिंग के फॉर्म भर सके।
परीक्षा का दिन पसीना नहीं, आत्मविश्वास बह रहा था
परीक्षा वाले दिन उसके पास अच्छे कपड़े तक नहीं थे।
लेकिन जब वह सेंटर पर पहुँचा, उसकी आँखों में जो चमक थी, वो किसी भी महंगे सूट से ज्यादा भारी थी।
महेश ने पेपर को आत्मविश्वास से हल किया।
उसके पास अनुभव था, मेहनत थी और सबसे बड़ी बात यकीन था खुद पर।
रिजल्ट आँखों में आँसू, लेकिन खुशी के
कुछ महीनों बाद जब रिजल्ट आया, महेश का नाम चयनित उम्मीदवारों की सूची में था।
“महेश यादव पोस्ट: लाइनमैन बिजली विभाग (राज्य सरकार)”
पूरा गाँव इकट्ठा हो गया। जो लोग उसे ताना मारते थे, वही लोग मिठाई खिला रहे थे।
उसकी माँ की आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, और उसके पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
नौकरी की पहली पोस्टिंग ऊँचाई से डर नहीं, गर्व होता था
महेश की पहली पोस्टिंग पास के ही ज़िले में हुई।
वह बिजली के खंभों पर चढ़कर खराबी ठीक करता, गाँवों में लाइन खींचता, और हर जगह उसकी एक ही पहचान थी
“ईमानदार और मददगार लाइनमैन महेश भाई!”
उसने कभी रिश्वत नहीं ली, और हमेशा गरीबों की पहले सुनता।
अब वह सिर्फ नौकरी नहीं कर रहा था, लोगों की जिंदगी रोशन कर रहा था।
आज का महेश औरों की राह रौशन करने वाला
आज महेश न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर है, बल्कि वह अपने जैसे कई गरीब बच्चों को ITI की किताबें, गाइड और ऑनलाइन कोचिंग का खर्च देता है।
उसने अपने गाँव में एक छोटा विद्युत शिक्षण केंद्र शुरू किया है, जहाँ वह बच्चों को तकनीकी शिक्षा देता है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. महेश ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन सी परीक्षाएं दीं?
उत्तर: महेश ने ITI करने के बाद बिजली विभाग की सरकारी भर्ती परीक्षा दी, जिसमें टेक्निकल और जनरल नॉलेज आधारित प्रश्न होते हैं।
Q2. क्या ITI के बाद सीधे लाइनमैन की नौकरी मिल सकती है?
उत्तर: हाँ, यदि संबंधित राज्य में भर्ती निकलती है और आप पात्रता पूरी करते हैं, तो परीक्षा और इंटरव्यू के बाद चयन हो सकता है।
Q3. महेश की सफलता का राज क्या है?
उत्तर: लगातार मेहनत, आत्मविश्वास, तकनीकी ज्ञान और कभी हार न मानने का जज़्बा।
Q4. क्या आर्थिक तंगी के बावजूद सरकारी नौकरी मिल सकती है?
उत्तर: बिल्कुल। महेश की तरह हज़ारों युवा कठिन हालातों के बावजूद सरकारी नौकरी पाते हैं मेहनत और लगन से।
निष्कर्ष: जो तारों को जोड़ना जानता है, वो किस्मत भी जोड़ लेता है
महेश की कहानी सिर्फ एक लड़के की कहानी नहीं है, यह उन लाखों युवाओं की उम्मीद है, जो सपने तो देखते हैं लेकिन रास्ता नहीं जानते।
महेश ने साबित किया न लाइनमैन की नौकरी छोटी है, न मेहनत का फल कभी व्यर्थ जाता है।