
प्रस्तावना – गरीबी में जन्मा, लेकिन सपनों ने किया मजबूत
एक साधारण गाँव के लड़के से आईएएस अधिकारी तक का सफर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव बदलापुर में युवराज का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जहाँ दो वक्त की रोटी जुटाना भी चुनौती थी।
उसके पिता मजदूरी करते थे, और माँ घर की देखभाल के साथ-साथ पड़ोसियों के घरों में बर्तन साफ़ करती थी। पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े युवराज को बचपन से ही समझ आ गया था कि पढ़ाई ही उनकी जिंदगी बदल सकती है।
बचपन की चुनौतियाँ – स्कूल जाने के लिए 8 किलोमीटर पैदल चलना
युवराज के गाँव में केवल प्राथमिक स्कूल था। हाई स्कूल जाने के लिए उसे रोजाना 8 किलोमीटर पैदल चलकर पास के कस्बे में जाना पड़ता था।
बारिश हो या धूप, वह एक पुरानी साइकिल पर किताबों का बस्ता बाँधकर निकल जाता। उसकी माँ उसकी टिफिन में सूखी रोटी और चटनी बाँध देती थी। “मैंने कभी भूख को अपने सपनों से बड़ा नहीं होने दिया,” युवराज बताते हैं।
वो दिन जब टीचर ने कहा – “तुम में आईएएस बनने की चमक है”
कक्षा 10वीं में युवराज के इतिहास के टीचर श्री रमेश चंद्र ने उसकी लगन देखकर कहा, “बेटा, तुम्हारी लिखावट और तर्कशक्ति अद्भुत है। तुम आईएएस बन सकते हो।” यह वाक्य युवराज के दिल में एक बीज की तरह अंकुरित हो गया। उस दिन से उसने अपने सपने को लक्ष्य बना लिया।
संघर्ष का दौर – पिता का देहांत और परिवार की जिम्मेदारी
12वीं की परीक्षा से ठीक पहले युवराज के पिता की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। घर की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई। परिवार वालों ने कहा, “अब पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करो।” लेकिन युवराज ने हार नहीं मानी।
उसने दिन में मजदूरी की और रात में स्ट्रीट लैंप के नीचे बैठकर पढ़ाई की। उसकी माँ ने उसका साथ दिया और अपने गहने बेचकर उसके लिए किताबें खरीदीं।
युवराज ने ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहाँ उसका सामना शहरी जीवन की चकाचौंध और अंग्रेजी की कमजोरी से हुआ।
वह हॉस्टल के कमरे में रहता और पार्ट-टाइम ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाता। एक बार तो उसे भूखे पेट तीन दिन गुजारने पड़े, लेकिन उसने कभी अपने नोट्स छोड़े नहीं। उसकी मेहनत रंग लाई और उसे यूनिवर्सिटी टॉपर होने पर छात्रवृत्ति मिली।
यूपीएससी की तैयारी – रात-दिन एक कर दिए (एक साधारण गाँव के लड़के से आईएएस अधिकारी तक का सफर)
युवराज ने 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उसके पास न कोचिंग के पैसे थे और न ही नए किताबों के। उसने दिल्ली के मुखर्जी नगर लाइब्रेरी में जाकर पुराने अखबारों और नोट्स को इकट्ठा किया। उसका रूटीन कुछ ऐसा था.
1. सुबह 4 बजे उठकर करंट अफेयर्स पढ़ना। 2. दोपहर में लाइब्रेरी में पुराने पेपर्स सॉल्व करना। 3. रात को 10 बजे तक एनसीईआरटी की किताबें याद करना। |
पहले प्रयास में असफलता – टूटा नहीं, बल्कि और मजबूत हुआ
2016 में पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाया। निराशा में उसने एक डायरी में लिखा: “हार तब होती है जब तुम कोशिश करना छोड़ दो। मैं फिर उठूँगा।”
उसने अपनी गलतियों को सुधारा और समय प्रबंधन पर ध्यान दिया।
सफलता का पल – AIR 22 और वो सुबह जिसने सब बदल दिया
2018 के परिणामों में युवराज का नाम AIR 22 पर था। जब उसने फोन पर अपनी माँ को खबर सुनाई, तो वह रो पड़ी। गाँव वालों ने उसके घर पर मिठाइयाँ बाँटीं। युवराज कहते हैं, “उस दिन मैंने महसूस किया कि संघर्ष ही सफलता का असली स्वाद होता है।”
आईएएस युवराज – गाँव की सेवा और बदलाव की मिसाल
आज युवराज उत्तराखंड में एसडीएम के पद पर तैनात हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में स्कूलों में डिजिटल क्लासेज शुरू कीं, महिलाओं के लिए रोजगार योजनाएँ चलाईं, और गाँवों में सड़कों का निर्माण करवाया।
उनका मानना है कि “आईएएस बनना लक्ष्य नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करने का माध्यम है।”
युवराज से जुड़े FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. यूपीएससी की तैयारी के लिए आपने किन किताबों का इस्तेमाल किया? | युवराज एनसीईआरटी की किताबें (कक्षा 6 से 12 तक), लक्ष्मीकांत की ‘भारतीय राजव्यवस्था’, और ‘द हिंदू‘ अखबार। |
2. असफलता के डर से कैसे निपटे? | युवराज मैंने असफलता को फीडबैक की तरह लिया। हर गलती ने मुझे बेहतर बनाया। |
3. गरीबी में पढ़ाई कैसे की? | युवराज संसाधनों की कमी को मैंने अपना स्ट्रेस नहीं बनने दिया। लाइब्रेरी, ऑनलाइन पीडीएफ़, और दोस्तों के नोट्स मेरी मदद करते थे। |
4. वर्तमान युवाओं को क्या सलाह देंगे? | युवराज “कभी भी अपने सपनों को छोटा न समझो। अगर एक गाँव का लड़का यह कर सकता है, तो तुम भी कर सकते हो।” |
निष्कर्ष: युवराज की कहानी से सीख
युवराज की जिंदगी हमें सिखाती है कि “इरादे मजबूत हों, तो रास्ते खुद बनते हैं।” उन्होंने न तो गरीबी को बहाना बनाया और न ही असफलता को अपनी नियति मानी। आज वह न केवल एक आईएएस अधिकारी हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए मिसाल भी हैं। उनकी कहानी का सार है: “मेहनत की चाबी से किस्मत का ताला खोलो, और सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।”
“सपने देखो, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाओ।” युवराज
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