एक वकील की संघर्ष गाथा – किसी ने सच ही कहा है “अगर सपने बड़े हों, तो रास्ते खुद बनते जाते हैं।” यह कहानी एक ऐसे ही युवक की है, जिसने जिंदगी की कठोरता को झेला, गरीबी की दलदल में पला-बढ़ा, लेकिन कभी अपने लक्ष्य से भटका नहीं। उसका नाम है विशाल सिंह जो आज एक सफल और प्रसिद्ध वकील है।

सपनों की कोई कीमत नहीं होती
बचपन की बोझिल राहें
विशाल का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव लोहगढ़ में हुआ। उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे और माँ घरों में झाड़ू-पोंछा करती थीं। दो वक़्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता था।
छोटे से घर में चार भाई-बहनों के साथ विशाल बड़ा हो रहा था। लेकिन उसमें कुछ खास था सवाल पूछने की आदत। वह हर बात की तह तक जाने की कोशिश करता। किसी का शोषण होते देख उसे अंदर तक गुस्सा आता।
गाँव के एक बुजुर्ग मास्टरजी अक्सर कहते,
“इस लड़के की आँखों में वकील वाली आग है। ये एक दिन ज़रूर कुछ करेगा।”
स्कूल का संघर्ष और शिक्षा की लगन (एक वकील की संघर्ष गाथा)
विशाल सरकारी स्कूल में पढ़ता था। फटे पुराने कपड़े, टूटी हुई चप्पलें, और कभी-कभी खाली पेट लेकिन उसकी किताबों से मोहब्बत अटूट थी।
कई बार किताबें खरीदने के लिए उसकी माँ ने अपने गहने गिरवी रखे।
एक बार मास्टरजी ने उसे संविधान की एक किताब दी।
उस दिन से विशाल को अपना रास्ता मिल गया “मुझे वकील बनना है।”
इंटर तक की शिक्षा आधे पेट, पूरा सपना
दसवीं में उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया, और इंटरमीडिएट में भी टॉप किया। लेकिन अब आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना जरूरी था। घर की हालत ऐसी नहीं थी कि वह पढ़ाई का खर्च उठा सके।
लेकिन हिम्मत नहीं हारी। विशाल ने स्कूल के पास ही एक चाय की दुकान पर काम करना शुरू किया। सुबह पढ़ाई, दिन में दुकान, रात को होमवर्क यह उसकी दिनचर्या बन गई।
संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक यात्रा
शहर की दुनिया और कानून की पढ़ाई
विशाल ने प्रयागराज के एक सरकारी लॉ कॉलेज में दाख़िला लिया। वहाँ उसकी अंग्रेजी कमजोर थी, बोलचाल में संकोच होता था। लेकिन उसका आत्मविश्वास कम नहीं था।
वह कोर्ट के बाहर घंटों बैठकर वकीलों की दलीलें सुनता, केस स्टडी पढ़ता और रात-रात भर कानून की किताबों में डूबा रहता।
साथ ही वह कॉलेज लाइब्रेरी में काम करने लगा, जिससे थोड़ा पॉकेट मनी मिल जाता।
पहला केस बिना फीस के, लेकिन पूरी ईमानदारी से
लॉ की पढ़ाई खत्म होने के बाद विशाल ने एक वरिष्ठ वकील के साथ जूनियर के रूप में काम शुरू किया। उसे ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे, लेकिन अनुभव अमूल्य था।
एक दिन एक गरीब महिला रोती हुई उसके पास आई। उसके पति को झूठे केस में फँसाया गया था।
“बेटा, मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन क्या तू मेरे पति को बचा सकता है?”
विशाल ने बिना फीस लिए केस लिया। उसने सारी रात केस की तैयारी की और कोर्ट में पूरे आत्मविश्वास से दलील दी।
न्यायाधीश ने जब फैसला सुनाया “आरोपी निर्दोष है” तो महिला की आँखों में जो आँसू थे, वही विशाल की पहली कमाई थे।
पहचान बनने लगी
इस एक केस के बाद लोग उसे “गरीबों का वकील” कहने लगे। धीरे-धीरे उसके पास केस आने लगे। वो हमेशा निष्पक्ष रहा, सच्चाई का साथ दिया।
उसने कई जटिल मामलों में न्याय दिलवाया। भ्रष्टाचार के खिलाफ, महिला उत्पीड़न के खिलाफ, मजदूरों के हक़ के लिए वो सबके साथ खड़ा रहा।
अब उसके नाम से लोग पहचानने लगे “एडवोकेट विशाल सिंह”।
अपने गाँव की ओर वापसी न्याय की मशाल लेकर
विशाल ने ठान लिया था कि वह अपने गाँव वापस जाएगा और वहाँ एक “लीगल हेल्प सेंटर” खोलेगा, जहाँ गरीब लोगों को मुफ्त सलाह और सहायता मिलेगी।
उसने ऐसा ही किया। लोहगढ़ गाँव में अब हर शुक्रवार को लोग आकर अपने मामले लेकर आते हैं, और विशाल बिना एक पैसा लिए उनकी मदद करता है।
अब जो है, वो एक मिसाल है
आज विशाल न केवल एक सफल वकील हैं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुके हैं। TV डिबेट्स, सेमिनार्स, कानूनी वर्कशॉप्स में उनका आमंत्रण होता है।
उन्होंने हाल ही में एक किताब भी लिखी “न्याय का रास्ता”, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव और संघर्ष को साझा किया है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या बिना पैसे और संसाधनों के भी कोई वकील बन सकता है?
उत्तर: हां, अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। विशाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
Q2. वकील बनने के लिए कौन-कौन सी पढ़ाई जरूरी होती है?
उत्तर: लॉ (LLB) की डिग्री जरूरी होती है। उसके बाद बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा कर वकालत शुरू की जा सकती है।
Q3. क्या गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता मिल सकती है?
उत्तर: जी हां, सरकार और कई गैर-सरकारी संस्थाएं गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देती हैं। अब तो कई वकील भी यह सेवा देते हैं।
Q4. विशाल की सबसे बड़ी प्रेरणा क्या थी?
उत्तर: समाज में हो रहे अन्याय को देखकर विशाल के अंदर बदलाव लाने की आग थी। यही उसकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनी।
निष्कर्ष – संघर्ष की परछाई से सफलता की रोशनी तक
विशाल की कहानी हमें यह सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों और दिल में जुनून हो, तो कोई भी मुकाम दूर नहीं।
गरीबी संसाधनों की कमी ला सकती है, लेकिन सपनों की ऊंचाई नहीं रोक सकती।