
हनुमान जी की महिमा – भारतीय संस्कृति और धर्म में हनुमान जी का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। रामभक्ति के प्रतीक, शक्ति के सागर, और संकटमोचन के रूप में पूजे जाने वाले हनुमान जी न केवल हिंदू धर्म बल्कि विश्वभर में भक्तों के हृदय में विराजमान हैं। उनकी गाथा महज एक देवता की कहानी नहीं, बल्कि समर्पण, साहस, और निस्वार्थ सेवा का अनुपम उदाहरण है। आइए, जानते हैं उनके जन्म से लेकर आज तक के सफर को, और समझते हैं कि क्यों करोड़ों लोग उन्हें अपने जीवन का आधार मानते हैं।
हनुमान जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन
हनुमान जी के जन्म की कथा रोचक और चमत्कारी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म अंजना नामक वानरी और केसरी नामक वानर राजा के घर हुआ। अंजना पूर्वजन्म में एक अप्सरा थीं, जिन्हें ऋषि के शाप के कारण वानर योनि में जन्म लेना पड़ा। भगवान शिव के परम भक्त होने के कारण, उन्होंने शिवजी से पुत्र के रूप में अवतार लेने की प्रार्थना की। इसी इच्छा के फलस्वरूप, भगवान शिव ने हनुमान के रूप में अवतार लिया।
जन्म के समय हनुमान जी को “मारुति” नाम दिया गया, क्योंकि वायु देव (मारुत) ने उन्हें पालन-पोषण में सहयोग दिया। बचपन से ही वे अद्वितीय शक्तिशाली थे। एक बार बालक हनुमान ने सूर्य को फल समझकर निगलने का प्रयास किया, जिससे देवताओं में हड़कंप मच गया। इंद्र ने उन पर वज्र से प्रहार किया, जिससे उनकी ठुड्डी (हनु) टूट गई। इसी कारण उनका नाम “हनुमान” पड़ा। वायु देव ने इस घटना पर क्रोधित होकर प्राण वायु को रोक लिया, जिसके बाद देवताओं ने हनुमान को अनेक वरदान दिए, जैसे अजेयता, रूप बदलने की क्षमता, और अतुलनीय बल।
श्रीराम से भेंट और सेवा (हनुमान जी की महिमा)
- हनुमान जी का जीवन तब पूर्णता को प्राप्त हुआ जब उनकी मुलाकात भगवान राम से हुई। रामायण के अनुसार, जब श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज में वानर राजा सुग्रीव से मिले, तो हनुमान उनके दूत बने। सुग्रीव के भाई बाली के भय से छिपे हुए थे, और हनुमान ने राम की शक्ति को पहचानकर उनसे मित्रता कराई।
- सीता की खोज में हनुमान जी ने समुद्र लांघकर लंका पहुँचने का अद्भुत कार्य किया। लंका में उन्होंने सीता माता को ढूँढ़ा और रावण को चेतावनी दी। इसी दौरान, रावण के सैनिकों ने उनकी पूँछ में आग लगा दी, पर हनुमान जी ने उसी जलती पूँछ से लंका को जलाकर रावण की अहंकारी शक्ति को चुनौती दी। यह घटना उनकी बुद्धिमत्ता और रणकौशल का प्रतीक है।
हनुमान जी के गुण: भक्ति, बल, और विवेक
- अटूट भक्ति: हनुमान जी को “रामदूत” कहा जाता है। उनकी भक्ति इतनी निष्काम थी कि जब सीता माता ने उन्हें मोती का हार दिया, तो उन्होंने उसे तोड़कर प्रत्येक मोती में राम-नाम ढूँढ़ा! यह घटना उनकी निष्ठा को दर्शाती है।
- अपार शक्ति: उन्होंने बाली के आसन को एक हाथ से उठाकर सुग्रीव को दिया और संजीवनी बूटी लाने के लिए पूरा पर्वत ही उठा लिया।
- विवेक और बुद्धि: लंका दहन के समय उन्होंने केवल अशुभ स्थानों को ही जलाया, जिससे निर्दोष लोगों को हानि न पहुँचे।
आधुनिक समय में हनुमान पूजा
आज भी हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल हैं:
- दिल्ली का जहाँगीरपुरी हनुमान मंदिर: यहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु माथा टेकते हैं।
- वाराणसी का संकट मोचन मंदिर: माना जाता है कि यहाँ तुलसीदास जी को हनुमान जी ने दर्शन दिए थे।
- हैदराबाद का मेझा हनुमान मंदिर: यहाँ हनुमान जी की 32 फीट ऊँची प्रतिमा है।
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की विशेष पूजा होती है। भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और सिंदूर व लड्डू का भोग लगाते हैं। मान्यता है कि सिंदूर चढ़ाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और दीर्घायु प्रदान करते हैं।
हनुमान जी का प्रतीकात्मक अर्थ
हिंदू दर्शन में हनुमान जी भक्ति और शक्ति के समन्वय को दर्शाते हैं। वे यह सिखाते हैं कि सच्ची शक्ति का उपयोग निस्वार्थ सेवा के लिए होना चाहिए। उनका लंगोट धारण करना ब्रह्मचर्य और संयम का प्रतीक है, जबकि गदा धारण करना अधर्म के विरुद्ध संघर्ष का संकेत है।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. हनुमान जी को ‘संकट मोचन’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: हनुमान जी अपने भक्तों के संकटों को तुरंत दूर करते हैं। रामायण में उन्होंने अहिरावण के चंगुल से राम-लक्ष्मण को बचाया था, इसीलिए यह नाम प्रसिद्ध हुआ।
2. हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ?
उत्तर: वे भगवान शिव के अवतार हैं और वायु देव के आशीर्वाद से अंजना के गर्भ से जन्मे।
3. हनुमान जी के हाथ में गदा क्यों होती है?
उत्तर: गदा अजेयता और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। यह दुष्टों के दमन के लिए है।
4. हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?
उत्तर: इसे तुलसीदास जी ने रचा था। मान्यता है कि इसके नियमित पाठ से भय, रोग और संकट दूर होते हैं।
5. हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है?
कथा है कि सीता माता ने सिंदूर लगाया देखकर हनुमान जी ने भी अपने शरीर पर सिंदूर लगा लिया, जिससे रामजी प्रसन्न हुए। तब से यह परंपरा चली।
6. क्या हनुमान जी अमर हैं?
हाँ, भगवान राम ने उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। माना जाता है कि वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं।
7. हनुमान जी का जीवन हमें क्या सिखाता है?
उनका जीवन समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा, और निःस्वार्थ सेवा का संदेश देता है। उन्होंने सिखाया कि शक्ति का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए होना चाहिए।
निष्कर्ष: हनुमान जी की सीख
हनुमान जी की कहानी केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है। यह हमें जीवन जीने की कला सिखाती है: विपरीत परिस्थितियों में धैर्य रखना, बड़े से बड़े संकट का सामना करना, और स्वयं को ऊँचा उठाने के लिए भक्ति और कर्म का मार्ग अपनाना। आज के युग में, जहाँ अहंकार और स्वार्थ बढ़ रहा है, हनुमान जी का चरित्र हमें विनम्रता और सेवा की प्रेरणा देता है।
जय श्रीराम, जय बजरंगबली
और पढ़े